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आपकी मुस्कान खास थी ( शायरी )

 एक लड़की एक लड़के से बहुत प्यार करती है, और कुछ दिन  इंतजार के बाद अपने प्यार का इजहार कुछ इस तरह से करती है:– आपकी हर बात खास थी,  आपकी वो मुस्कान खास थी।  आप आए मेरी जीन्दगी में - 2  कसम से वो लम्हा खास थी। लेकिन कहते हैं न की रिश्ते में उतार चढाव होते रहते है, लड़का उस प्यारी सी लड़की से रूठ जाता है, तो लड़की डरते हुए बड़े ही प्यार से अपने दिल का दर्द अपने प्रेमी से बयां करती है थोड़ा ध्यान देना:– मत नाराज हो मुझसे,  एक बार मेरी सुन कर तो देखो।  कसम है आपको उस मोहकबत की -2  एक बार मेरे दिल की गहराइयों में झाककर तो देखो। लेखिका– Khushboo Singh सहयोग – R.S. Sikarwar 

एक फौजी की प्रेम कहानी (शायरी)

 एक फौजी होते है जो साप्ताहिक छुट्टी पर अपनी पत्नी को बुलाकर कही घूमने का प्लान बनाते है, पर अचानक ड्यूटी में बदलाव के कारण उन्हें अपना प्लान बदलना पड़ता है , तो अपने दोस्तो से अपना दर्द बयां करते हैं:– सोचा था कि आज यहां से बाहर निकलुंगा। सौराष्ट्र के बहाने उसे यहां बुलाऊंगा। पर क्या करे किस्मत ही अपने साथ नही–02 पता नहीं कैसे अब मैं अपना वादा निभाऊंगा। तो फौजी साहब अपने साथियों के सुझाव के बाद वो पत्नी को सारा बात बताते है,जो बेचारी आधे रास्ते तक वापस आ गई होती है, तब उनकी पत्नी कुछ इस तरीके से अपनी तकलीफ बताती है– घर से निकली थी मैं कुछ इस तरह। मिलूंगी अपने पतिदेव से कुछ उस तरह। पर क्या करे उनकी नौकरी ही कुछ ऐसी है–02 पता नही था कि आधे रास्ते से लौट आऊंगी कुछ इस तरह। लेखिका:– Khushboo Singh सहयोग:– R.S. Sikarwar 

साहिल - साक्षी की प्रेम कहानी

 पता है मैं कौन हूं, मैं साक्षी हूं। मैं वो साक्षी नहीं हूं, जिसकी आप शपथ लेते हो। मैं तो दिल्ली की बेटी वो साक्षी हूं,जिसका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया।आज ये साक्षी कुछ कहना चाहती हैं आप सब से, ध्यान से सुनना:- घर से निकली थी बाहर मैं, दिल्ली की सड़को पे। रास्ते में ये सोच रही थी, लोगो को नाज है अपने बेटियों पे। सोच यही रही थी मैं जब, मेरे सामने आया एक इंसान। तू - तू मैं – मैं करने के बाद, बन गया वो हैवान। देखते – देखते ही खंजर से गोद गया वो मेरा जिस्म। दर्द मैं सहती रही, जैसे वाणो की सैया पे भीष्म। माना की वो अब्दुल था, पर देखने वाले कुछ श्याम भी थे। देता रहा वो दर्द मुझे, तड़प रहा मेरा वहा जिस्म था।  साहिल–साक्षी आज चर्चित शीर्षक है,क्युकी बने आपलोग दर्शक थे। मैं हर दर्द को सहती रही,वो शक्ति देने वाले राम थे। ईश्वर को क्या मुंह दिखाओगे, हम ऐसे नपुंसक इंसान थे। अब हिंदू–मुस्लिम से क्या फायदा, जब समय था तो कुछ किया नहीं। बच सकती थी मेरी जान,पर आपने कोशिश किया नहीं। मेरे साथ जो घटित हुआ , अब किसी के साथ न होने देना। मेरे जितना दर्द अब किसी बच्ची को न सहने देना। लेखिका:–  Khushboo Singh