बिहार की आवाम ( शायरी )

 ये बिहार की आवाम है, करना बस इनको आराम है।

 मस्ती में रहते है ये, विकास की बाते करना भी हराम है।।

नेता हो या अभीनेता यहाँ के, बस जाती पर ही खेलते है।

दिल पे हाथ रख कर कहना, बिन जाती के कहाँ ये चलते है। ।

एक बार बाहर जा कर देखो, बिहारीयों कि क्या मान है।

 ना आन-बान है ना शान है, मजदुरी ही पहचान है।।


ये बिहार की आवाम है, करना बस इनको आराम है।


जाति-जाति करते हो तुम, जाति में सबको फांस दिए।

 मुश्किल से एकजुट समाज को, फिर से तुम बाँट दिए।। 

जाति की सरकार ढूंढोगे, जाति की पत्रकार।

 तब तुम ही बताओ भईया, कहां से पाओगे रोजगार।।

 जाति जाति करके वो ,अपना जेब भरते हैं।

जो जाति–जाति करते हैं, क्या वो तुम्हारा पेट भरते है।।


ये बिहार की आवाम है, बस करना इनको आराम है। 


इसी धरती पर माँ सीता आई , इसी धरती पर बुद्ध।

इसी धरती से सम्राट अशोक बने, क्या गए हो आप ये भूल।।

समय अभी गया नहीं है, करो आप संघर्ष। 

तब जाकर ये दुनिया करेगी, आपका चरण स्पर्श।।


तब जाकर बदलेगी, लोगो की ये सोच।

ये बिहार की आवाम है, ना करना इनको आराम है।

बस करना इनको काम है, बढ़ाना अपना नाम है।।


लेखिका:– Khushboo Singh

सहयोग:– R.S. Sikarwar 


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